गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी
सारी रात ना सोहने देते कूदे मारे किलकारी
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

जितने घर के वर्तन भांडे तितर बितर कर डाले
खत पट पर करत रात भर ढोले ना माने भज मारे,
कैसे मुक्ति मिले नाथ मुझे मैं चूहों से हारी
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

रोटी सबजी दूध न छोड़े कैसे जुलम गुजारे,
मेहंगे मेहंगे नये नये कपड़े कुतर कुतर के डारे,
मच्छर दानी बनाये गई मेरी नई नकोरी साड़ी,
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

मोदक भोग लगाऊ गणपति किरपा करो इक बारी
अपनी सेना आप सम्भालो इतनी वन्य हमारी,
मुक्ति मिले कृष्ण चूहों से नाचू दे दे ताली
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी
गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

गुरु गोविंद सिंह जयंती
पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा

संग्रह