श्लोक –
गजानंद आनंद करो, दो सुख सम्पति में शीश,
दुश्मन को सज्जन करो, निवत जिमावा खीर…
सदा भवानी दाहिनी, सनमुख रहत गणेश,
पाँच देव रक्षा करे, ब्रम्हा विष्णु महेश…
विघ्न हरण मंगल करण, गणनायक गणराज,
रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, म्हारा पूरण कर जो काज…
गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नन्दा…
पिता तुम्हारे है शिव शंकर, मस्तक पर चँदा,
माता तुम्हारी पार्वती, ध्यावे जगत बन्दा,
म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा…
मूसक वाहन दुंद दुन्दाला, फरसा हाथ लेनदा,
गल वैजंती माल विराजे, चढ़े पुष्प गंधा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा…
जो नर तुमको नहीं सुमरता, उसका भाग्य मंदा,
जो नर थारी करे सेवना, चले रिजक धंधा,
म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा…
विघ्न हरण मंगल करण, विद्या वर देणदा,
कहता कल्लू राम भजन से, कटे पाप फंदा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा…
गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा ,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नन्दा…
Author: Unknown Claim credit