गौरी गणराज तुम्हे पहले नमन करते है,
पहले पूजेंगे तुमको पहले याद करते है।।

जो भी दर पे तुम्हारे आता है,
झोली भरके खुशी से जाता है,
गाए महिमा तुम्हारी मिलके भजन करते है,
पहले पूजेंगे तुमको पहले…..

तेरी मूरत बड़ी लुभानी है,
मन मोहनी छबि सुहानी है,
तेरी सुंदर छबि का दर्शन सजन करते है,
पहले पूजेंगे तुमको पहले…..

दरबार निराला है तेरा जहां, बिगड़ी बनाई जाती है,
जो भी आता द्वार तुम्हारे, सरगम जलाई जाती है।।

Author: ।।डॉ सजन सोलंकी।।

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