हे गणनायक हे गजानन,प्रथम तुमको नमन करें
तुम हो प्रखर बुद्धि के स्वामी
तुम सम जगत में कोई ना ज्ञानी
बुद्धि परीक्षा जब शिव ने लिन्ही
तब तुम ने उनकी पृदिक्षना किन्ही
गौरा मन ही मन हर्शाई
शिव जी बोले तुम महाज्ञानी
हे गणनायक
रिद्धि सिद्धि तुम रे अधीना
तुम रि महिमा कोई ना जाना
मेरी इतनी अरज है तुम से
मुख से न निकले कभी कटु वानी
जब मर्त्यू निकट मेरे आये
द्वार तुम्हारे वो ले जाये
Author: Unknown Claim credit