मैं तो लाइ हु मोदक भर थाल रे,
स्वीकार करो गणराज जी,
नमो नमो गणराज जी, नमो नमो महाराज जी…

माथे तिलक सिंदूर विराजे गल मोतियन का हार है,
सब के संकट हरने वाले महिमा तेरी अपार है,
मैं तो लाइ हु मोदक भर थाल रे…

तीन लोक के स्वामी हो तुम तुम्हारा पावन धाम है,
कहते है मात पिता की सेवा में ही आठो याम है,
मैं तो लाइ हु मोदक भर थाल रे…

लाल भाग के ओ गणराजा देवो के सरताज हो,
तुमरे जाप से आये न वादा पुराण करते काज हो,
मैं तो लाइ हु मोदक भर थाल रे…

निर्बल को बल निर्धन को धन देने वाले नाथ हो,
सिर पे तेरा हाथ रहे और हर पल तेरा साथ हो,
मैं तो लाइ हु मोदक भर थाल रे…

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