मुझे गणपत मिल गए थे,
कल रात सोते सोते,
फिर बीती रात मेरी,
उससे बात होते होते,
मुझे गणपत मिल गए थे।
मुझे याद है अभी भी,
वो रात का जो नज़ारा,
गणपत जी सामने थे,
आभास होते होते,
मुझे गणपत मिल गए थे।
जैसे सामने ही ये मूरत,
वैसे ही मैंने देखी,
मैं तो चरणों में पड़ी थी,
यु निहाल होते होते,
मुझे गणपत मिल गए थे।
वो गीले, वो सारे शिकवे,
जो जरा मैं उनसे कहती,
सब भूलते ही तो जाते,
मुझे याद होते होते,
मुझे गणपत मिल गए थे।
Author: Unknown Claim credit