ॐ नमोजी आद्या । वेद प्रतिपाद्या ॥
जय जय स्वसंवेद्या । आत्मरूपा ॥1॥

देवा तूंचि गणेशु । सकळमति प्रकाशु ॥
म्हणे निवृत्ति दासु । अवधारिजो जी ॥2॥

अकार चरण युगुल । उकार उदर विशाल ॥
मकार महामंडल । मस्तकाकारें॥3॥

हे तिन्ही एकवटले । तेथें शब्दब्रह्म कवललें॥
ते मियां श्रीगुरुकृपें नमिलें । आदिबीज ॥4॥

आतां अभिनव वाग्विलासिनी । जे चातुर्यार्थ कलाकामिनी॥
ते श्रीशारदा विश्वमोहिनी । नमिली मीयां॥5॥

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