बँदगी दुख तमाम हरती है

बँदगी दुख तमाम हरती है,
ओषधी का काम,
ओषधी का काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

पीले इसे जो कोई नियम से,
जीवन मे रहे जो सँयम से,
कि जीवन मे रहे जो सदा सँयम से,
उन पर ये बहुत काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

ले ले दवा तू ओ मन प्यारे,
आजा रे आजा अब तो प्रभू के द्वारे,
कि आजा रे आजा प्रभू के द्वारे,
सुबहोशाम आठो याम बँटती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

बाँटे गुरू मेरा दिन और रैना,
लेलो रे आकर जिस को भी है लेना,
कि लेलो रे आकर जिसको है लेना,
खर्चे सेभी नही ये घटती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

बँदगी दुख तमाम हरती है,
ओषधी का काम,
ओषधी का काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह