जी मैं सुपना सुनावा कल रात दा,
गुरां दे नाल गल्लां कीतियाँ,
सतिगुरु आये मेरे वेहड़े,
चानन होया चार चुफेरे,
नि मैं शगुन मनावा उस रात दा,
गुरा दे नाल गला कितियाँ,
जी मैं सुपना सुनावा…
जी मैं कोल गुरा दे बेह गई,
पता लगाया न की की गला कहि गई,
वेला मिलिया सबबी मुलाकात दा,
गुरा दे नाल गल्ला कितियाँ,
जी मैं सुपना सुनावा……..
जी मैं दर्श गुरा दा पा लिया,
बाह फड के मैं कोल बिठा लिया,
जी मैं रोम रोम हरषा लिया,
गुर दे नाल गल्ला कितियाँ,
जे मैं सुपना सुनावा……
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