गुराजी मोहे दीना रे

गुराजी मोहे दीना रे

तर्ज- बनाके क्यों बिगाड़ा रे बिगाड़ा रे नसीबा

गुराजी मोहे दीना रे हा दीना रे गुरूवर ज्ञान यह मुझको

जब मैं आया था दुनिया में रहा ज्ञान विना हीना रे
आप बिना कोई दूजा ना देखा आपका सरना लीना रे
आपका हाथ हो सर पर मेरे,हा दीना रे गुरूवर ज्ञान यह मुझको

इस संसार की रीत पुरानी चाल चले जैसे मीना रे
आप हो मेरे पीव गुसाई दिया ज्ञान पंथ जीना रे
आप जगत मे मुक्ति के दाता हां दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

मन चंचल चित्त ज्ञान परम पद गुरु ज्ञान हम चीना रे
दिल अंदर दीदार दरशिया जयोति प्रकाश है कीना रे
आप अधम के अधम उधारण हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

रंग वरण निज रूप परखिया अमरस प्याला पीना रे
एक अरज सुनो रमेश उदासी की जड़ी भजन री दीना रे
आप दयालु दया में स्वामी हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह