कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो

कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो, मैं तेरे कालों तैनू मंगणा,
जद सामने वे जग दा वाली ता फिर असा किनू मंगना,
कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो…..

सुख दुःख गम ख़ुशी सब तेरी माया है,
माया विच तू है सारा जग भरमाया है,
रंग सारे ने कच्चे इस जग दे मैं रंगा विच तेरे रंगाणा,
कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो…..

जे तू मिल जावे सानूं रहे कोई थोड़ ना,
ज़िंदगी च फेर पैनी कदे कोई लोड़ ना,
आज मंगणा है आखिरी वारि मैं मंगणो भी नईयो संगणा,
कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो…..

तेरया दीदारा ने रज्ज के रजाया ऐ,
सुद्ध बुद्ध हर लेंदे दर्श दिखाया ऐ,
छेती लैले खबर दास दी आके, हुण असी नईयो संगणा,
कुज मंगणा नई दाता तेरे बाझो…..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह