प्रभु हम पे दया करना,
प्रभु हम पे कृपा करना,
बैकुंठ यही पे है, हृदय में रहा करना…..

गूंजेगे राग बनकर, वीणा की तार बनकर,
प्रगटोगे नाथ ह्रदय में तुम सुंदर प्यार बनकर,
हर रागिनी की धुन पर स्वर बन कर उठा करना….

नाचेंगे मोर बनकर हे श्याम तेरे द्वारे,
घनश्याम छाए रहना बनकर के मेघ कारे
अमृत की धार बनकर प्यासों पे दया करना….

तेरे वियोग में हम, दिन रात हैं उदासी,
अपनी शरण में लेलो हे नाथ ब्रज के वासी,
तुम सो हम शब्द बन कर प्राणों में रमा करना

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