मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है,
हर जन्म में मुझे तेरी भक्ति मिली हर जन्म में तुम्हारा उजाला मिला,
सतगुरु हर जन्म में यूँ आके मिले जैसे सूखी नदी को किनारा मिला
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है,
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है ,
लाख तूफान आंधी रहे भी तो क्या तेरी सम्मा को कोई भुझा ना सका ,
जिस्म छूटते रहे मौत आती रही मेरी रूह से तुम्हे कोई मिटा ना सका ,
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है,
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है ,
पैदा होता हूँ और मर जाता हूँ मैं अपनी किस्मत का लिखा पाता हूँ मैं ,
दुनिया बनती है और बिगड़ जाती है रूह इन्सान की तन से उड़ जाती है,
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है.
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है .
आदमी रंजो गम में रहता है कर्मो के बंधन में रहता है ,
मेरे हाथों में प्रभ तेरी ज्योति है मेरी आत्मा तेरा मोती है
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है
तेरी राहों में हस्ती मिटा बैठे जो तेरे दर से उजाला उन्ही को मिला
तुझ पे कुर्बान फुलसंदे वाले बाबा मुझ को प्रभु का महल तुमसे मिला
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है
ये फ़रिश्ते कैसे उड़ते है प्रभ तेरी ताकत से उड़ते है
बाबा फुलसंदे वाले कहते है सच्चे दिल में उजाले रहते है
मेरे सर पे गुरु ने जब से हाथ धरा बस उसी दिन से सीने में उजियार है
देवता फिरते है संग संग मेरे, हर घड़ी मुझ को तेरा दीदार है
“एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा “
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