प्रीतम मेरे मन माही

प्रीतम तू मेरे ह्रदय च बसया,
मैं लबदा रिहा पर किसे ने ना दसया,
मैं तेरा हां तेरा ही बन के रहूँगा,
मैं गुरुआ दी सिखयां नू मन के रहूँगा,
सब दुखिया दी सेवा मेरा धर्म है,
निभावा धर्म ऐ भी तेरा कर्म है,
इशारे बिना तेरे पत्ता ना हिल्दा,
जो कर्मा चा ना होवे ओ भी है मिलदा,
तेरा नाम मेरे तन मन च रसया,
प्रीतम तू मेरे ह्रदय च बसया,
ह्रदय च बसया ह्रदय च बसया।।

जो हर वेले गावे प्रभु नाम तेरा,
जीवन च उसदे ना होवे हनेरा,
जान गया तेरी माया नू जो भी,
आखे ओ तैनू तू मेरा मैं तेरा,
मैं हर विच देखा तेरी ही सूरत
मैं दिल विच वसा लई है तेरी ही मूरत,
तेरी ही मूरत तेरी ही मूरत।।
मैं लग के तेरे लड़ बुराईया तो रसिया,
प्रीतम तू मेरे ह्रदय च बसया,
ह्रदय च बसया ह्रदय च बसया।।

हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम, रामा रामा हरे हरे ॥
सत नाम वाहे गुरु, सत नाम वाहे गुरु
सत नाम वाहे गुरु, सत नाम वाहे गुरु ॥

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