गुरू चरणाँ विच सच्चा प्यार करना कोई-कोई जाने,
गुराँ दी सेवा ते सतकार करना कोई कोई जाने,
चाकर बन गुरू सेवा करना, गुरू घर दा नित पानी भरना,
पहुँच के सतगुराँ दे दरबार संवरना कोई-कोई जाने,
गुरू चरणाँ विच सच्चा प्यार करना…..

मन तो आपा भाव मिटाना, दुई द्वैत नूँ दिलों भुलाना,
लैंदे ने मन अपने नूँ मार मरना कोई-कोई जाने,
गुरू चरणाँ विच सच्चा प्यार करना…..

बुल्ले रूठड़ा पीर मनाया, चाकर कन्जराँ दा कहलाया,
पीर मुरशिद नूँ राजी यार करना कोई-कोई जाने,
गुरू चरणाँ विच सच्चा प्यार करना…..

धूनी लाके दर ते बैणा, हस हस जग दे ताने सेहना,
“प्रेम” कई डुबे विच मंझदार तरना कोई-कोई जाने,
गुरू चरणाँ विच सच्चा प्यार करना…..

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