सतगुरु बिन सोधी नहीं और सोढ़ी सब घट माय,
रज्जब मतीरा खेत में चिड़िया ने गम नाय

अरे भाई कुळ रो कारण संता है नहीं,
सिंवरे ज्यारों सांई,
सिंवर सिंवर निर्भय भया,
देवा दरसिया घट माही रे,
कुल रो कारण संता है नहीं,

रूचि आकाशी भुंडी तापता तन मन माही,
ज्या बीच सुमरि भीलणी तासे अंतर नाहीं
कुल रो कारण भाया है नहीं,

कस्तूरी महंगा मोल की राखे ज्यांरे रेही रे,
लखपतियों रे लाधे नहीं नर के ने वो मोलाई,
कुल रो कारण भाया है नहीं

मीठी रे जात चमार री गुरु करिया मीरां बाई,
राणा जी परचो माँगियों गंगा आई कुंड माहीं,
कुल रो कारण भाया है नहीं…..

भ्रांत फैली संसार में नर नीची कमाई,
उत्तम राम रो नाम है बाकी मिधम कमाई,
कुल रो कारण भाया है नहीं……

रामदास जी हर ने भेंटियाँ खेड़ापे माही रे,
राजा प्रजा निवण करे ज्यारी राम सगाई,
कुल रो कारण सन्तो है नही

कुल रो कारण सन्तो है नहीं सिंवरे ज्यारो सांई रे,
सिंवरू सिंवरू नर निर्भय भया,
देवा दरसिया घट माही रे,

Author: Unknown Claim credit

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