सोणें फुल वे गुलाब देया
हो सांब सांब रखदी फिरां
मेरे गुरा जी दे बाग देया,
हो सोणें फुल…..

कोठे ते कां बोले,
हो चिट्ठी मेरे गुरा दी आई,
विच मेरा भी नाम होवे,
हो सोणें फुल…..

हो दो पतर अनारां दे,
गुरा जी दा दर्शन करके,
दुख मिटन बीमारां दे,
हो सोणें फुल…..

हो मैं तां आटा छाणदियां,
हो गड्डी मेरे गुरा दी आई,
मैं तां नंबर पछाणंदियां,
हो सोणें फुल…..

हो छपड़ी विच अंब तरेया,
हो गुरा जी दा दर्शन करके,
मेरा भी मन भरेया,
हो सोणें फुल…..

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