जब जब भी संकट का मुझपे फेरा होता है

जब जब भी संकट का मुझ पे फेरा होता है,
मेरे दरवाज़े पे हनुमान का पेहरा होता है…….

जब से आए घर में मेरे सारे संकट भाग गए,
हम तो डो थे गहरी नींद में हनुमान जी जाग रहे,
हर गली हर कूचे में इनका बसेरा होता है,
मेरे दरवाज़े पे हनुमान का पेहरा होता है…….

मुझसे ज़्यादा चिंता करते ये मेरे परिवार की,
करते हैं रखवाली हर दम ये मेरे घर बार की,
जपते जपते नाम इन्ही का सवेरा होता है,
मेरे दरवाज़े पे हनुमान का पेहरा होता है…….

श्री राम का सेवक है ये भक्तों का रखवाला है,
इनकी महिमा बहुत बड़ी है इनका खेल निराला है,
भक्तों से भगवान का रिश्ता गहरा होता है,
मेरे दरवाज़े पे हनुमान का पेहरा होता है…….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह