मन की गति पछाड़ चले

( याद आ गया जब भुलापन,
तो गरजे पवन कुमार,
सीता माँ का पता लगाने,
चले है सागर पार || )

मन की गति पछाड़ चले,
बादलों को फाड़ चले,
सिंह सा दहाड़ चले,
बजरंगबली,
बजरंगबली बजरंगबली,
बजरंगबली मेरे बजरंगबली……

मृत्यु भय से सहम गयी,
काँपने लगी थर थर,
सिंधु हुआ नतमस्तक,
देखता है बस डर डर,
पवन पिता सहयोगी,
साथ चल पड़े सर सर,
पुष्प लूटाते नभ से,
देवता अंजलि भर भर,
रुद्र के अवतार चले,
बादलों को फाड़ चले,
सिंह सा दहाड़ चले,
बजरंगबली,
बजरंगबली बजरंगबली,
बजरंगबली मेरे बजरंगबली……..

देव दनुज यक्ष मनुज,
प्रश्न बार बार करे,
श्रष्टि के सुखंड खंड,
खंड हाहाकार करे,
अंजनी के लाल,
महाकाल कुछ उजारेंगे,
हनुमान शायद,
रावण को आज मारेंगे,
रूप अजब धार चले,
बादलों को फाड़ चले,
सिंह सा दहाड़ चले,
बजरंगबली,
बजरंगबली बजरंगबली,
बजरंगबली मेरे बजरंगबली…….

रस्तो का अवरोध,
हर विरोध कर दिया निष्फल,
कपिकुमार लंका में,
गए तो मच गयी हलचल,
वाटिका अशोक तो,
उजाड़ना बहाना था,
मौत जिसमे रावण की,
बाण लेके जाना था,
ढूंढ के वो बाण चले,
बादलों को फाड़ चले,
सिंह सा दहाड़ चले,
बजरंगबली,
बजरंगबली बजरंगबली,
बजरंगबली मेरे बजरंगबली………

Author: लखबीर सिंह लक्खा

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