नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेलपतोंसे सज गयो रे…..

भोले की जटा मैं गंगा विराजे,
गंगा से अमृत बरस गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेलपतोंसे सज गयो रे…..

भोले के गले मैं मुंडो की माला,
गले में सर्प लिपट गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेलपतोंसे सज गयो रे………

भोले के हाथों मैं त्रिशूल विराजे,
त्रिशूल में डमरू लटक गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेलपतोंसे सज गयो रे………

भोले के संग मैं गौरा विराजे,
गोदी मैं गणपति बैठ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेलपतोंसे सज गयो रे……

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह