सूरत सलोनी श्याम की दिल में मेरे बसी,
करता हूँ मैं तो चाकरी खाटू के श्याम की,
सूरत सलोनी श्याम की ……….
होता नहीं है प्रेम का सौदा है दर पे श्याम,
रीझे है भाव से हरी बनते हैं सबके काम,
बनते हैं सबके काम,,
रिश्तो की डोर श्याम से जुड़ती यूँही नहीं,
सूरत सलोनी श्याम की……….
लाखों की भीड़ में यहाँ रिश्ते बड़े अजीब,
कहने को साथ हैं खड़े दिखता कोई नहीं,
दिखता कोई नहीं,,
रिश्ता अगर हो श्याम से लगती कमी नहीं,
सूरत सलोनी श्याम की……….
सरल जुड़ा हूँ श्याम से भक्तो करो यक़ीं,
देता है साथ सांवरा होती फिकर नहीं,
होती फिकर नहीं,,
चलता है आगे साथ ये भटकु न मैं कभी,
सूरत सलोनी श्याम की……..
Author: Unknown Claim credit