ओ मेरे खाटू वाले हम हैं तेरे दीवाने,
खाटू मैं आया पहली बार बाबा श्याम,
हाथों में लेके आया मैं भी एक निशान…

ये फाग मेले का रंग जो खाटू में कहीं नहीं,
चलें जो हाथों में निशान टोली में थमे नहीं,
वो तुझसे मिलने की प्यार लेके हम रुके नहीं,
ओ मुझे छा गया तेरा नशा,
ओ मेरे खाटू वाले हम हैं तेरे दीवाने,
खाटू मैं आया पहली बार बाबा श्याम,
हाथों में लेके आया मैं भी एक निशान…

वो श्याम कुंड बगीची जो खाटू में कहीं नहीं,
वो तोरण द्वार जैसा द्वार जहान में कहीं नहीं,
वो श्री श्याम जैसा नाम स्वर्ग सा कहीं नहीं,
वो तेरे जैसा और नहीं,
ओ मेरे खाटू वाले हम हैं तेरे दीवाने,
खाटू मैं आया पहली बार बाबा श्याम,
हाथों में लेके आया मैं भी एक निशान…

तू अब की बार बाबा श्याम खाटू में जो बसा ले,
खेलु रंग तेरे संग फागुन का खाटू में,
मचाऊं खूब धमाल बाबा श्याम मेले में,
ओ मैं भी झोली भर लू खाली श्याम,
ओ मेरे खाटू वाले हम हैं तेरे दीवाने,
खाटू मैं आया पहली बार बाबा श्याम,
हाथों में लेके आया मैं भी एक निशान…

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