कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में,
क्या रखा है झूठी दुनिया दारी में,
कुछ तो है संवारे तेरी यारी में,
दो पहलु संसार के दो रुख वाली रीत,
दिन अच्छे तो सब अपने दूरबीन मिले ना मीत,
साथ तेरा मिले लाचारी में,
कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में,
मौसम से बदले याहा लोगो का वेहवार,
झूठे रिश्ते झूठे नाते झूठा है संसार,
है भरोसा तेरी रिश्ते दारी में,
कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में,
मैंने बस गुण गान किया तूने दिया वरदान,
दानी तुझसा और नही दी अपनी पहचान,
लीला सब है तेरी दात्री में,
कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में,
हर दम रहना साथ तू बन निर्मल की ढाल,
मेरा जो रक्षक है तू जग की क्या है मिजाल,
मैं रहू खुश तेरी दरबारी में,
कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में,
Author: Adhishtha Anushka