उसका एहसास फ़िज़ाओं में बिखर गया है, ज़र्रा ज़र्रा सोने चांदी के जैसा निखर गया है,
क्या कहे लचक एक झलक जो देखी उसकी, नज़रो के रास्ते वो दिल में उतर गया है॥ )

कितना सुन्दर है सांवरा बखान क्या करूँ,
मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ,
श्याम क्या करूँ, श्याम क्या करूँ,
श्याम क्या करूँ, मेरे श्याम क्या करूँ,
ओ मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ,
मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ…….

मेरा है तुमसे बस इतना ही कहना,
उतरे हो दिल में तो दिल में ही रहना,
तेरे वास्ते है दिल का मकान क्या करूँ,
मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ,
ओ मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ…….

इसकी अदाओं ने पागल किया है,
दिल और जिगर मेरा घायल किया है,
तिरछी नज़रो के मार गया बाण क्या करूँ,
मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ,
ओ मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ…….

लचक का जबसे खाटू आना जाना हुआ है,
तूफानी भी तेरा दीवाना हुआ है,
तबसे दिल को बड़ा है आराम क्या करूँ,
मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ,
ओ मेरे दिल में उतर गया श्याम क्या करूँ……

Author: Unknown Claim credit

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