तेरी कृपा से ही मैं गुण तेरे गाता हूं,
सेवा मिलती उससे परिवार चलाता हूं……
दीनो का बंधु है हारे का साथी है,
हर बुझते दीपक की तूही तो बाती है,
अपने दिल की बाते बस तुम्हे सुनाता हु,
सेवा मिलती उससे परिवार चलाता हूं…..
कलियुग में गर तुझसा दातार नही होता,
ये बेड़ा गरीबों का कभी पार नहीं होता,
पग पग पर मैं तुझको मेरे संग में पाता हूं,
सेवा मिलती उससे परिवार चलाता हूं……
तेरी कृपा बाबा बस यूंही मिलती रहे,
तेरा नाम ले लेकर मेरी गाड़ी चलती रहे,
कहे श्याम शूकर तेरा हर रोज मनाता हूं,
सेवा मिलती उससे परिवार चलाता हूं……
Author: Pravesh साहू & Shyam Agrwal