भादो की रतिया भयावन
घटा घन घेरेली हे
ललना चम् चम् चमके बिजुरिया
डगर नहीं सुझेला हो
आधी रतिया भइले त मोहन जनम लेले हो
आधी रतिया भइले त मोहन जनम लेले हो
ललना खुल गईले जेल के फटकवा
पहरेदार सूत गईले हो
सूप में से गोड़ लटकौले
की यमुना में डाल देहले हो
सूप में से गोड़ लटकौले
की यमुना में डाल देहले हो
ललना यमुना के जल भईले थोर त वसुदेव पार भईले हो
पहुँचले गोकुला नगरीया
त नन्द के भवन पहुंचे हो
पहुँचले गोकुला नगरीया
त नन्द के भवन पहुंचे हो
ललना यशोदा के गोदिया सुतावे
त हिया लेई मथुरा अईले हो
Author: Guru Ashish