गोवेर्धन पूजा-अन्नकूट महोत्सव संकीर्तन

हमारो धन ,परमधन ,जीवनधन गोवर्धन महाराज ,
जो मांगो सो देवे दाता ,बड़ो गरीब-नवाज़।।

नंद-नंदन स्वरुप गोवर्धन ,ब्रजमंडल की शान।
इंद्र को इंद्र ,देव देवन को ,साक्षात भगवान।।
महिमा अपरम्पार गोवर्धन ,संत भगत गुणगात ,
हमारो धन…..

पूर्व में श्री जगन्नाथ जी ,पश्चिम द्वारिकानाथ।
रामेश्वर दक्षिण दिशा में ,उत्तर में बद्रीनाथ।।
इन चारों के बीच सुशोभित ,श्री गोवर्धन नाथ,
हमारो धन…..

जगत-वासना, राग द्वेष अरु दुःख दरिद्र टारे।
भक्ति ज्ञान विवेक बढ़ावे ,प्रेम रंग रंग डारे।।
मानसी गंगा में कर पावन ,रास लीला दिखलात ,
हमारो धन…..

कभी भारी कभी फूल सों हल्का ,चमत्कार अत्ति न्यारे।
अत्ति सुन्दर अदभुत अलौकिक ,मधुप हरी बलिहारे।।
वंशी नाद गोपाल करत जहां ,चरत गो-बछड़े घास ,
हमारो धन….. ।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह