जयजय नारायण ब्रह्मपरायण

जयजय नारायण ब्रह्मपरायण श्रीपती कमलाकांत ॥ध्रु०॥
नाम अनंत कहां लगी बरनुं शेष न पावे अंत ।
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक सूर मुनिध्यान धरत ॥ जयजय० ॥१॥
मच्छ कच्छ वराह नारसिंह प्रभु वामन रूप धरत ।
परशुराम श्रीरामचंद्र भये लीला कोटी करत ॥ जयजय० ॥२॥
जन्म लियो वसुदेव देवकी घर जशूमती गोद खेलत ।
पेस पाताल काली नागनाथ्यो फणपे नृत्य करत ॥ जयजय० ॥३॥
बलदेव होयके असुर संहारे कंसके केश ग्रहत ।
जगन्नाथ जगमग चिंतामणी बैठ रहे निश्चत ॥ जयजय० ॥४॥
कलियुगमें अवतार कलंकी चहुं दिशी चक्र फिरत ।
द्वादशस्कंध भागवत गीता गावे सूर अनंत ॥ जयजय० ॥५॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

इंदिरा एकादशी

बुधवार, 17 सितम्बर 2025

इंदिरा एकादशी
घटस्थापना पूजा

सोमवार, 22 सितम्बर 2025

घटस्थापना पूजा
दशहरा

गुरूवार, 02 अक्टूबर 2025

दशहरा
पापांकुशा एकादशी

शुक्रवार, 03 अक्टूबर 2025

पापांकुशा एकादशी
अश्विन पूर्णिमा

मंगलवार, 07 अक्टूबर 2025

अश्विन पूर्णिमा
करवा चौथ

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

करवा चौथ

संग्रह