तर्ज – आज मेरे यार की शादी है

अपने भगत के आंख में आंसू देख न पाते है,
कन्हैया दौड़े आते है……

जहाँ में शोर ऐसा नही कोई श्याम जैसा,
जहाँ के मालिक है ये सभी से वाकिफ है ये,
धर्म पताका..
धर्म पताका निज हाथो से प्रभु फैराते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
अपने भगत के आंख में आंसू देख न पाते है,
कन्हैया दौड़े आते है……

गए जो भूल इनको धीर नही उनके मन की,
तिजोरी लाख भरी हो मोटारे महल खड़े हो,
हीरे मोती..
हीरे मोती से मेरे भगवन नही ललचाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
अपने भगत के आंख में आंसू देख न पाते है,
कन्हैया दौड़े आते है……

याद कर जग की गाथा पार्थ के रथ को हाका,
दिन पांचाली हारी बढ़ा दी उसकी सारी,
ध्रुव प्रहलाद..
ध्रुव प्रहलाद नरसी और मीरा टेर लगाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
अपने भगत के आंख में आंसू देख न पाते है,
कन्हैया दौड़े आते है……

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