मैं श्वेत वीरानी रंग, श्यामल नूरानी हो गई।
तेरे रूह छुअन से मै कान्हा,ये बावली दीवानी हो गई॥-2

जग हरजाई सब,प्रीत न मानी-2
पिया बैरी माने मोरे,इसे जग हँसाई-2
किसको सुनाऊँ पीर,विरह जताऊँ-2
मूँदे जब अखियन,तुझको ही पाऊँ-2
सब राजपाट छोड़, तेरे प्रीत में बैरागी हो गयी।
तेरे रूह छुअन से मै कान्हा,
ये बावली दीवानी हो गयी ।
मैं श्वेत वीरानी……

गोपी थी मैं पिछले,जनम में गोविंद-2
रही जो अधूरी अगन,उसको है बुझानी-2
रचा है ये कैसा,जुलुम रे कान्हा-2
पिया को भी देखूँ जब,तुझको ही पाऊँ-2
बालमन में मान स्वामी, तेरे लगन में जोगी हो गयी।
तेरे रूह छुअन से मैं कान्हा,
ये बावली दीवानी हो गयी।
मैं श्वेत वीरानी…..
तेरे रूह छुअन से मै कान्हा,
ये बावली दीवानी हो गयी।-2

तुझको पहन के,अंग अंग साजे-2
धड़कन भी देखो मेरा,धुन मुरली बाजे-2
रस ये लगन का,रग रग समा है-2
नृत्य से बालम मेरा,पाँव न थमा है-2
मान औषधि मैं कान्हा तुमको, दरश की रोगी हो गयी।
तेरे रूह छुअन से मै कान्हा,
ये बावली दीवानी हो गयी।
मैं श्वेत वीरानी…..

तेरे रूह छुअन से मै कान्हा,
ये बावली दीवानी हो गयी।

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