मेरा शयाम है माखन चोर, नन्द किशोर,
गल्ल किसे किसे नाल करदा है।
मैं ते ला लिया बड़ा ही ज़ोर,
मेरा उसदे बाजो नहीं सरदा है।
शाम दे नाल लड़ गयी आँखें
छेड़ती मुझे साड़ी सखिआं
दिल ले गया मेरा चित्त चोर
मेरे तेरे बिना ना सरदा है…
मीरा जैसी योगं हो गयी
लगा रोग मैं रोगी हो गयी
मुझे लगा इशक का रोग
मेरे तेरे बिना ना सरदा है…
नीतू को नहीं कुछ भी गवारा
आजा शाम तू बन के सितारा
यहाँ पड़ गया गली गली शोर
मेरे तेरे बिना ना सरदा है…
Author: Unknown Claim credit