ओ कान्हा अब तो मुरली

ओ कान्हा
ओ कान्हा
ओ कान्हा अब तो मुरली
मधुर सुना दो तान
ओ…मधुर सुना दो तान
मैं हूँ तेरी प्रेम दिवानी
मुझको तु पहचान
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा अब तो मुरली
मधुर सुना दो तान

गहरे समन्दर से भी गहरी
मेरे प्रेम की धारा
मेरे प्रेम की धारा
प्रेम की धारा आ….
मेरे प्रेम की धारा
प्रेम के सागर में जो डूबा

तुमने पार उतारा
प्रीत निभाऊ तोह से कान्हा
जब तक तन में है प्राण
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा… मधुर सुना दो तान

गा मा पा नि सा नि
पा नि सा गा रे सा
सा नि ध प म ग
स ग म
ग म प
म प नि धा पा
प ध प
प ध प
प ध प

जुग जुग बदले युग युग बदले
तुम ना कान्हा बदलना
हो गयी है तेरे प्रेम की प्यासी
बरसे है ये नैना
अंखियों की भाषा को कान्हा

अब तो लो पहचान
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा.. मधुर सुना दो तान

जब से तोह से लगन लगायी
मोहे कोई ना भाये
मोहे कोई ना भाये
तुमने सबकी लाज बचायी
फिर क्यों देर लगाये
जग में हँसी जो मेरी उड़ी तो
होगे तुम बदनाम
मधुर सुना दो तान
ओ कान्हा.. अब तो मुरली
मधुर सुना दो तान
मधुर सुना दो तान
आ….मधुर सुना दो तान
मधुर सुना दो
मधुर सुना दो
मधुर सुना दो तान

Author: Savitri Gupta ,Savitri gupta & Rahul Bhagat

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