मोरे लय लगी गोपालसे

मोरे लय लगी गोपालसे

मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा।मेरे चित्त नंद लालछे॥ध्रु०॥१॥ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥२॥मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥३॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥४॥

माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल

माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल

माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल॥ध्रु०॥कोई कहे हलका कोई कहे भारी। लियो है तराजू तोल॥ मा०॥१॥कोई कहे ससता कोई कहे महेंगा। कोई कहे अनमोल॥ मा०॥२॥ब्रिंदाबनके जो कुंजगलीनमों। लियों बंजंता ढोल॥ मा०॥३॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। पुरब जनमके...

पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या

पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या

पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या॥ध्रु०॥तै खोलना मेरा जी डरत है। तनमन डावा डोल॥ पपैय्या०॥१॥तोरे बिना मोकूं पीर आवत है। जावरा करुंगी मैं मोल॥ पपैय्या०॥२॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। कामनी करत कीलोल॥ पपैय्या०॥३॥

शाम मुरली बजाई कुंजनमों

शाम मुरली बजाई कुंजनमों

शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥रामकली गुजरी गांधारी। लाल बिलावल भयरोमों॥१॥मुरली सुनत मोरी सुदबुद खोई। भूल पडी घरदारोमों॥२॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वारी जाऊं तोरो चरननमों॥३॥

हातकी बिडिया लेव मोरे बालक

हातकी बिडिया लेव मोरे बालक

हातकी बिडिया लेव मोरे बालक। मोरे बालम साजनवा॥ध्रु०॥कत्था चूना लवंग सुपारी बिडी बनाऊं गहिरी।केशरका तो रंग खुला है मारो भर पिचकारी॥१॥पक्के पानके बिडे बनाऊं लेव मोरे बालमजी।हांस हांसकर बाता बोलो पडदा खोलोजी॥२॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर...

तुम बिन मेरी कौन खबर ले

तुम बिन मेरी कौन खबर ले

तुम बिन मेरी कौन खबर ले। गोवर्धन गिरिधारीरे॥ध्रु०॥मोर मुगुट पीतांबर सोभे। कुंडलकी छबी न्यारीरे॥ तुम०॥१॥भरी सभामों द्रौपदी ठारी। राखो लाज हमारी रे॥ तुम०॥२॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारीरे॥ तुम०॥३॥

झुलत राधा संग

झुलत राधा संग

झुलत राधा संग। गिरिधर झूलत राधा संग॥ध्रु०॥अबिर गुलालकी धूम मचाई। भर पिचकारी रंग॥ गिरि०॥१॥लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥ गिरि०॥२॥नाचत ताल आधार सुरभर। धिमी धिमी बाजे मृदंग॥ गिरि०॥३॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकू दंग॥ गिरि०॥४॥

किन्ने देखा कन्हया प्यारा

किन्ने देखा कन्हया प्यारा

किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला॥ध्रु०॥जमुनाके नीर गंवा चरावे। खांदे कंबरिया काला॥१॥मोर मुकुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत हीरा॥२॥मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल बलहारा॥३

बात क्या कहूं नागरनटकी

बात क्या कहूं नागरनटकी

बात क्या कहूं नागरनटकी। नागर नटकी नागर०॥ध्रु०॥हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन। छीन लीई मोरी दधीकी मटकी॥१॥मोर मुकूट पीतांबर शोभे। अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी॥२॥मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। प्रीत लगी उस मुरलीधरकी॥३॥

नाव किनारे लगाव प्रभुजी

नाव किनारे लगाव प्रभुजी

नाव किनारे लगाव प्रभुजी नाव किना०॥ध्रु०॥नदीया घहेरी नाव पुरानी। डुबत जहाज तराव॥१॥ग्यान ध्यानकी सांगड बांधी। दवरे दवरे आव॥२॥मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। पकरो उनके पाव॥३॥

थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे

थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे

थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे॥ध्रु०॥सैना नायको साची मीठी। आप भये हर नाईरे॥१॥नामा शिंपी देवल फेरो। मृतीकी गाय जिवाईरे॥२॥राणाने भेजा बिखको प्यालो। पीबे मिराबाईरे॥३॥

कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी

कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी

कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी। तोरि बनसरी लागी मोकों प्यारीं॥ध्रु०॥दहीं दुध बेचने जाती जमुना। कानानें घागरी फोरी॥ काना०॥१॥सिरपर घट घटपर झारी। उसकूं उतार मुरारी॥ काना०॥२॥सास बुरीरे ननंद हटेली। देवर देवे मोको गारी॥ काना०॥३॥मीरा कहे प्रभु गिरिधर...

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