
अब या तनुहिं राखि कहा कीजै।
अब या तनुहिं राखि कहा कीजै।सुनि री सखी, स्यामसुंदर बिनु बांटि विषम विष पीजै॥के गिरिए गिरि चढ़ि सुनि सजनी, सीस संकरहिं दीजै।के दहिए दारुन दावानल जाई जमुन धंसि लीजै॥दुसह बियोग अरी, माधव को तनु दिन-हीं-दिन...
श्री कृष्ण जी के मधुर भजन, गीत और लीलाएँ! राधा-कृष्ण प्रेम की दिव्य अनुभूति। सभी भक्ति गीत BhaktiRas.in पर।
अब या तनुहिं राखि कहा कीजै।सुनि री सखी, स्यामसुंदर बिनु बांटि विषम विष पीजै॥के गिरिए गिरि चढ़ि सुनि सजनी, सीस संकरहिं दीजै।के दहिए दारुन दावानल जाई जमुन धंसि लीजै॥दुसह बियोग अरी, माधव को तनु दिन-हीं-दिन...
नाथ, अनाथन की सुधि लीजै।गोपी गाइ ग्वाल गौ-सुत सब दीन मलीन दिंनहिं दिन छीज॥नैन नीर-धारा बाढ़ी अति ब्रज किन कर गहि लीजै।इतनी बिनती सुनहु हमारी, बारक तो पतियां लिखि दीजै॥चरन कमल-दरसन नवनौका करुनासिन्धु जगत जसु...
जो पै हरिहिं न शस्त्र गहाऊं।तौ लाजौं गंगा जननी कौं सांतनु-सुतन कहाऊं॥स्यंदन खंडि महारथ खंडौं, कपिध्वज सहित डुलाऊं।इती न करौं सपथ मोहिं हरि की, छत्रिय गतिहिं न पाऊं॥पांडव-दल सन्मुख ह्वै धाऊं सरिता रुधिर बहाऊं।सूरदास, रणविजयसखा...
हरि, तुम क्यों न हमारैं आये।षटरस व्यंजन छाड़ि रसौई साग बिदुर घर खाये॥ताकी कुटिया में तुम बैठे, कौन बड़प्पन पायौ।जाति पांति कुलहू तैं न्यारो, है दासी कौ जायौ॥मैं तोहि कहौं अरे दुरजोधन, सुनि तू बात...
हरि हरि हरि सुमिरन करौ।हरि चरनारबिंद उर धरौं॥ हरि की कथा होइ जब जहां।गंगाहू चलि आवै तहां॥ जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।गोदावरी विलंब न लाबै॥ सर्व तीर्थ को बासा तहां।सूर, हरि-कथा होवे जहां॥
रानी तेरो चिरजीयो गोपाल ।बेगिबडो बढि होय विरध लट, महरि मनोहर बाल॥उपजि पर्यो यह कूंखि भाग्य बल, समुद्र सीप जैसे लाल।सब गोकुल के प्राण जीवन धन, बैरिन के उरसाल॥सूर कितो जिय सुख पावत हैं, निरखत...
वा पटपीत की फहरानि।कर धरि चक्र चरन की धावनि, नहिं बिसरति वह बानि॥रथ तें उतरि अवनि आतुर ह्वै, कचरज की लपटानि।मानौं सिंह सैल तें निकस्यौ महामत्त गज जानि॥जिन गुपाल मेरा प्रन राख्यौ मेटि वेद की...
व्रजमंडल आनंद भयो प्रगटे श्री मोहन लाल।ब्रज सुंदरि चलि भेंट लें हाथन कंचन थार॥जाय जुरि नंदराय के बंदनवार बंधाय।कुंकुम के दिये साथीये सो हरि मंगल गाय॥कान्ह कुंवर देखन चले हरखित होत अपार।देख देख व्रज सुंदर...
राखी बांधत जसोदा मैया ।विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि...
मोहन केसे हो तुम दानी।सूधे रहो गहो अपनी पति तुमारे जिय की जानी॥हम गूजरि गमारि नारि हे तुम हो सारंगपानी।मटुकी लई उतारि सीसते सुंदर अधिक लजानी ॥कर गहि चीर कहा खेंचत हो बोलत चतुर सयानि।सूरदास...
मेटि सकै नहिं कोइकरें गोपाल के सब होइ।जो अपनौ पुरषारथ मानै अति झूठौ है सोइ॥साधन मंत्र जंत्र उद्यम बल ये सब डारौं धोइ।जो कछु लिखि राख्यौ नंद नंदन मेटि सकै नहिं कोइ॥दुख सुख लाभ अलाभ...
बृथा सु जन्म गंवैहैंजा दिन मन पंछी उडि़ जैहैं।ता दिन तेरे तनु तरवर के सबै पात झरि जैहैं॥या देही को गरब न करिये स्यार काग गिध खैहैं।तीन नाम तन विष्ठा कृमि ह्वै नातर खाक उड़ैहैं॥कहं...