प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ।

प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ।
धरि जिय लाज सरन आये की रबि-सुत-त्रास निबारौ॥
जो गिरिपति मसि धोरि उदधि में लै सुरतरू निज हाथ।
ममकृत दोष लिखे बसुधा भरि तऊ नहीं मिति नाथ॥
कपटी कुटिल कुचालि कुदरसन, अपराधी, मतिहीन।
तुमहिं समान और नहिं दूजो जाहिं भजौं ह्वै दीन॥
जोग जग्य जप तप नहिं कीण्हौं, बेद बिमल नहिं भाख्यौं।
अति रस लुब्ध स्वान जूठनि ज्यों अनतै ही मन राख्यौ॥
जिहिं जिहिं जोनि फिरौं संकट बस, तिहिं तिहिं यहै कमायो।
काम क्रोध मद लोभ ग्रसित है विषै परम विष खायो॥
अखिल अनंत दयालु दयानिधि अघमोचन सुखरासि।
भजन प्रताप नाहिंने जान्यौं, बंध्यौ काल की फांसि॥
तुम सर्वग्य सबै बिधि समरथ, असरन सरन मुरारि।
मोह समुद्र सूर बूड़त है, लीजै भुजा पसारि॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह