श्री हरिदास
तरज़:-ना मुंह छुपा के जीयो और ना सर झुका के
जियो
राधे राधे गाते चलो,शाम को रिझाते चलो,
श्री राधा नाम से, मन को मन्दिंर बना ते चलो,
राधे........
हो शाम आके बिराजे,मन के आसंन पे,
हर एक स्वांस में,राधे राधे गाते चलो,
राधे राधे गाते चलो शाम को रिझाते चलो,
राधे……..
श्री राधा नाम से बृज़ की,खीले फुलवारी है,
ओ राधा नाम को आधार,तुम बनाते चलो,
राधे राधे गाते चलो,शाम को रिझाते चलो,
राधे……..
श्री राधा नाम से पागल,बनें बिहारी के,
हो धसका ख़ुद भी धसों,औरों को भी धसाते चलो,
राधे राधे गाते चलो,शाम को रिझाते चलो,
राधे……..।
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