तर्ज – ये गलियां ये चौबारा

मतबल की दुनिया सारी,
सच्ची श्याम तुम्हारी यारी,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
अपनों की हूँ ठुकराई,
मैं शरण तुम्हारी आई,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
की मेरा यहाँ कोई नहीं……

मेरे जीवन की अटकी है नैया,
पार कर दो बनके खिवैया,
तुम ही पालक हो जग के रचैया,
थाम लो श्याम मेरी कलैया,
ऐसी मुश्किल घडी मुझपे आई,
प्रीत अपनी हुई है पराई,
हर कदम मैंने ठोकर है खाई,
बाबा मैं हूँ एक दुखियारी,
मैं शरण तुम्हारी आई,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं……

कब तक मैं चुपचाप रहूं,
कब तक बोझ ग़मों का सहुँ,
आता नहीं नजर कोई,
जिससे दिल की मैं बात कहूं,
हारे के सहारे तुम हो,
तुम तीन बाण के धारी,
प्रेमी से प्रेम निभाते,
ओ लीले के असवारी,
उम्मीद लगाई है तुमसे,
एक आस लगाई है तुमसे,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं……

रूठे हमसे सारा जमाना,
पर तुम ना हमें ठुकराना,
ये जीवन तुमको सौंप दिया,
मुझे अपना बनाये रखना,
मैं तेरा तू मेरा बाबा,
सरकार मेरे मेरे दाता,
अहसान ये मुझपे करना,
हर जनम में निभाना साथ मेरा,
पीड़ा हर लो संकट हारी,
कुंदन के श्याम बिहारी,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं…….

मतबल की दुनिया सारी,
सच्ची श्याम तुम्हारी यारी,
अब तेरे सिवा मेरे बाबा,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं,
कि मेरा यहाँ कोई नहीं।

Author: Unknown Claim credit

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