सकल सुख के कारन

सकल सुख के कारन
भजि मन नंद नंदन चरन।
परम पंकज अति मनोहर सकल सुख के करन॥
सनक संकर ध्यान धारत निगम आगम बरन।
सेस सारद रिषय नारद संत चिंतन सरन॥
पद-पराग प्रताप दुर्लभ रमा कौ हित करन।
परसि गंगा भई पावन तिहूं पुर धन घरन॥
चित्त चिंतन करत जग अघ हरत तारन तरन।
गए तरि लै नाम केते पतित हरि-पुर धरन॥
जासु पद रज परस गौतम नारि गति उद्धरन।
जासु महिमा प्रगति केवट धोइ पग सिर धरन॥
कृष्न पद मकरंद पावन और नहिं सरबरन।
सूर भजि चरनार बिंदनि मिटै जीवन मरन॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह