शाम सवेरे देखु तुझको

शाम सवेरे देखु तुझको,
कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया,
बाकी दुनिया धूप है ।।

शाम सवेरे देखु तुझको,
कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया,
बाकी दुनिया धूप है ।।

खुस हो जाए अगर सावरिया,
किस्मत को चमका देता,
हांत पाकर ले अगर किसी का,
जीवन स्वर्ग बना देता ।।

यह बातें सोच विचारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने ।।

शाम सवेरे देखु तुझको,
कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया,
बाकी दुनिया धूप है ।।

जब जब भी इसे पुकारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने ।।

गिरने से पहले से ही आकर,
बाबा मुझको संभाल लेगा,
पूरा है विस्वास है राज को,
तूफ़ानो से निकलेगा ।।

यह तन मन तुझपे वारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने ।।

शाम सवेरे देखु तुझको,
कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया,
बाकी दुनिया धूप है ।।

जब जब भी इसे पुकारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने ।।

Author: Avinash Karn

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