उधो मनकी मनमें रही

उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥
गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥
पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥
तन तालाभरना रही उधो । जल बल भस्म भई ॥३॥
हमरी आख्या भर भर आवे । उलटी गंगा बही ॥४॥
सूरदास प्रभु तुमारे मिलन । जो कछु भई सो भई ॥५॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह