ये तेरी रस भरी मुरली मेरे मन को तड़पाती है,
वो मुरली याद आती है सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन मुरली ना बजा…..

तुम्हारी याद में कान्हा मै दिन दिन भटकती हु,
जो आई रात तैरन को मै मछली सी तड़पती हु,
ये तेरी सांवरी सूरत मेरे मन को तड़पाती है,
वो सूरत याद आती है सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन वो मुरली याद आती है…..

सुना है आपने मथुरा में पापी कंस को मारा,
बचाए देव की वसुदेव दुलारा नन्द के लाला,
बचायी लाज द्रोपद की घटी ना पांच गज साड़ी,
वो साड़ी याद आती है वो सूरत याद आती है…..

ये तेरी रस भरी मुरली मेरे मन को लुभाती है,
वो मुरली याद आती है सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन मुरली ना बजा,
ओ मुरली याद आती है वो मुरली याद आती है……

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