आजा मां मैं तो कब से खड़ा हु तेरे द्वार,
के अखियां तड़फत है दिन रात….
स्वर संगीत की तु हैं माता,
तेरी दया से दास है गाता,
कंठ विराजो मेरे माता,
तेरी दया से मान मैं पाऊं,
चरण शरन में हर दम गाउं,
हाथ जोड़ तुझे शीश जुकाऊ,
रहमत तेरी ऐसे बरसे,
दिल मेरा मां जैसे तरसे,
जाऊ कभी न खाली दर से,
सुर नर मिल गंदर्ब धियाय,
सिमर सभा में मान वो पाए,
दास रंगीला हर दम गाए,
मां आजा मां मैं तो कब से………..
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