तूने किया ना हरि से प्यार,
सारा जीवन दीन्हा गुज़ार,
तेरी ये नादानी है ओ रे मनुआ,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनुआ॥

तुमने पाया जो तन,
फिर ना पाओगे प्यारे दुवारा,
तेरा हीरा जीवन,
बीता जाता है सारा का सारा,
माया में रे काहे तू लिपटlनी है,
ओ रे मनुआ….

तेरे दुख का कारण,
तेरी प्रभु के प्रति बेरुखी है,
जो प्रभु के रंग में,
रंग गया तो बो ही सुखी है,
समझ ना जो उसको,
वो अज्ञानी है ।।
ओ रे मनुआ….

अरे कर्म कर तू ऐसे,
जिससे सुधरे ये जीवन तुम्हारा,
अरे जन्म और मरण से,
मिल जाएगा रे छुटकारा,
‘राजेन्द्र’ की बात नही,
संतो की बानी है ।।
ओ रे मनुआ…..

तूने किया ना हरि से प्यार,
सारा जीवन दीन्हा गुज़ार,
तेरी ये नादानी है ओ रे मनुआ,
तेरी ये कहानी है ओ रे मनुआ॥

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