भक्ति का रस तू पिला दे हमको, मस्ती का रंग चढ़ा दे,
श्री चरणों में नमन करें माँ, आ कर तेरे आंगन में,
डूब जाएं भक्ति के रंग में, झूमें तेरे आंगन में,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको……
रंग हो गुलाब और अबीर उसमें डाला,
चुनरी जैसा लाल और किनारी गोटे वाला,
मईया भक्तों को रंग दे ऐसे रंग में,
भक्ति का, भक्ति का, भक्ति का रस तू पिला दे हमको,
मस्ती का रंग चढ़ा दे,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको…….
ऐसा रंग चढ़े मैया जो रंग कभी ना छूटे,
खुशियों के रंगों की मैया तार कभी ना टूटे,
मैया भक्तों को रंग दे ऐसे रंग में,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको,
मस्ती का रंग चढ़ा दे माँ,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको……
माँ तेरे दरबार की किरपा सारे जग पर बरसे,
होली के पावन रंगों से सबका जीवन चमके,
मैया भक्तों को रंग दे ऐसे रंग में,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको,
मस्ती का रंग चढ़ा दे माँ,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको…….
ऐसी होरी रचे तेरे दरबार में ओ मईया,
वृंदावन से दौड़े दौड़े आयें कृष्ण कन्हैया,
मईया खेलें रास कन्हैया माँ तेरे आंगन में,
मईया नाचें ता ता थइया माँ तेरे आंगन में,
मईया नाचे बंसी बजईया माँ तेरे आंगन में,
सभी झूमें नाचें गायें माँ तेरे आंगन में,
हो बाजे ढोलक झांज मजीरा माँ तेरे आंगन में,
भक्ति का रस तू पिला दे हमको……
Author: Unknown Claim credit