
गणपती जी को प्रथम मनाना है
गणपती जी को प्रथम मनाना है,उत्सव को सफल बनाना है,शिव पार्वती के प्यारे को,भक्तों के बीच बुलाना है।। गणपती को प्रथम मनाने की,देवों ने रीत चलाई है,तीनो लोक में छोटे या हो बड़े,सब करते इनकी...
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गणपती जी को प्रथम मनाना है,उत्सव को सफल बनाना है,शिव पार्वती के प्यारे को,भक्तों के बीच बुलाना है।। गणपती को प्रथम मनाने की,देवों ने रीत चलाई है,तीनो लोक में छोटे या हो बड़े,सब करते इनकी...
शंकर सुवन भवानी नंदन,हे गणपती… तेरा करते है वंदन।। ब्रह्मा भी नित तेरा वंदन करते,तुम ही तो जग के विघ्नो को हरते,हे गणपती… तेरा करते है वंदन।। धनो के अधीपति हे सुखदायक,तुम हो स्वामी ना...
मलार मठा खींच को लोंदा।जेवत नंद अरु जसुमति प्यारो जिमावत निरखत कोदा॥माखन वरा छाछ के लीजे खीचरी मिलाय संग भोजन कीजे॥सखन सहित मिल जावो वन को पाछे खेल गेंद की कीजे॥सूरदास अचवन बीरी ले पाछे...
चिरजीयो होरी को रसिया चिरजीयो।ज्यों लो सूरज चन्द्र उगे है, तो लों ब्रज में तुम बसिया चिरजीयो ॥१॥नित नित आओ होरी खेलन को, नित नित गारी नित हँसिया चिरजीयो॥२॥सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, पीत पिछोरी...
अरी तुम कोन हो री बन में फूलवा बीनन हारी।रतन जटित हो बन्यो बगीचा फूल रही फुलवारी॥१॥कृष्णचंद बनवारी आये मुख क्यों न बोलत सुकुमारी।तुम तो नंद महर के ढोटा हम वृषभान दुलारी॥२॥या बन में हम...
ग्वालिन मेरी गेंद चुराई।खेलत आन परी पलका पर अंगिया मांझ दुराई॥१॥भुज पकरत मेरी अंगिया टटोवत छुवत छंतिया पराई।सूरदास मोही एही अचंबो एक गई द्वय पाई॥२॥
देखो री हरि भोजन खात।सहस्त्र भुजा धर इत जेमत हे दूत गोपन से करत हे बात॥१॥ललिता कहत देख हो राधा जो तेरे मन बात समात।धन्य सबे गोकुल के वासी संग रहत गोकुल के तात॥२॥जेंमत देख...
राधा प्यारी कह्यो सखिन सों सांझी धरोरी माई।बिटियां बहुत अहीरन की मिल गई जहां फूलन अथांई॥१॥यह बात जानी मनमोहन कह्यो सबन समुझाय।भैया बछरा देखे रहियो मैया छाक धराय॥२॥असें कहि चले श्यामसुंदरवर पोहोंचे जहां सब आई।सखी...
पवित्रा पहरत हे अनगिनती।श्री वल्लभ के सन्मुख बैठे बेटा नाती पंती॥१॥बीरा दे मुसिक्यात जात प्रभु बात बनावत बनती।वृंदावन सुख पाय व्रजवधु चिरजीयो जियो भनती॥२॥
पवित्रा श्री विट्ठलेश पहरावे।व्रज नरेश गिरिधरन चंद्र को निरख निरख सचु पावे॥१॥आसपास युवतिजन ठाडी हरखित मंगल गावे।गोविंद प्रभु पर सकल देवता कुसुमांजलि बरखावे ॥२॥
पवित्रा पहरे को दिन आयो।केसर कुमकुम रसरंग वागो कुंदन हार बनायो॥१॥जय जयकार होत वसुधा पर सुर मुनि मंगल गायो।पतित पवित्र किये सुख सागर सूरदास यश गायो॥२॥
पहरे पवित्रा बैठे हिंडोरे दोऊ निरखत नेन सिराने।नव कुंज महल में राजत कोटिक काम लजाने ॥१॥हास विलास हरत सबकेअन अंग अंग सुख साने ।परमानंद स्वामी मन मोहन उपजत तान बिताने ॥२॥