( देखिये किस्मत का खेला,
व्याकुल है श्री राम,
संजीवन ला दे मुझे,
हे पवन पुत्र हनुमान| )

बोले श्री राम बिलख के,
मूर्छित मेरा भाई है,
विपदा की रात उमड़ के,
सिर पे मेरे छाई है,
लक्ष्मण के बिना अवध में,
कैसे अब जाऊंगा,
पूछेगी मात सुमित्रा,
तो क्या मैं बतलाऊँगा…….

बोले तब वीर पवनसुत,
रघुकुल रघुराई को,
मरने ना दूंगा मैं प्रभु,
लक्ष्मण बलदायी को,
तेरा बस एक इशारा,
रघुवर पा जाऊंगा,
पलभर में काल बलि को,
कच्चा खा जाऊंगा……..

बोले रघुनाथ तू हनुमत,
तू प्राणो से प्यारा है,
संकट से हरदम हमको,
तुमने उबारा है,
तेरा उपकार भला मैं,
कैसे भुलऊँगा,
तुमसा हितकारी सेवक,
और कहाँ पाउँगा………

आज्ञा दो नाथ संजीवन,
लेने मैं जाऊंगा,
सूरज उगने से पहले,
बूटी ले आऊंगा,
आज्ञा दी राम ने बजरंग,
पर्वत ले आए है,
बूटी पिला के शर्मा,
लक्ष्मण जीलाये है……

रघुवर के नैनो में तब,
भर आया पानी है,
हनुमत को गले लगाकर,
बोले यूँ बाणी है,
मेरा वरदान है हनुमत,
खाली ना जाएगा,
युग युग तेरे नाम का झंडा,

Author: लखबीर सिंह लक्खा

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

इंदिरा एकादशी

बुधवार, 17 सितम्बर 2025

इंदिरा एकादशी
घटस्थापना पूजा

सोमवार, 22 सितम्बर 2025

घटस्थापना पूजा
दशहरा

गुरूवार, 02 अक्टूबर 2025

दशहरा
पापांकुशा एकादशी

शुक्रवार, 03 अक्टूबर 2025

पापांकुशा एकादशी
अश्विन पूर्णिमा

मंगलवार, 07 अक्टूबर 2025

अश्विन पूर्णिमा
करवा चौथ

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

करवा चौथ

संग्रह