हमारे साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो, किस बात की चिंता ||

किया करते हो तुम दिन रात क्यों, बिन बात की चिंता..(x2)
तेरे स्वामी को रहती है, तेरी हर बात की चिंता..(x2)
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता ||

ना खाने की ना पीने की, ना मरने की ना जीने की..(x2)
रहे हर स्वास पर भगवान के, प्रिय नाम की चिंता..(x2)
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता ||

विभिषण को अभय वर दे किया, लंकेश पल भर में..(x2)
उन्ही का कर रहे गुणगान तो, किस बात की चिंता..(x2)
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता ||

हुई ब्रजेश पर किरपा, बनाया दास प्रभु अपना..(x2)
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो, किस बात की चिंता..(x2)
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता ||

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो, किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो,किस बात की चिंता ||

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