मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदशरथ अजिरी बिहारी
पुरुषों में उत्तम राम मेरे,
मेरे अवधबिहारी
हरिनाम रटे है दुनिया ये सारी…..

कौशल्यानंदन राम तुम्ही माँ जानकी के स्वामी हो,
दशरथ के प्रियप्राण तुम्ही,
तुम्ही अंतर्यामी हो,
कोई राम रटे कोई श्याम रटे,
कण कण में छवि है समायी,
हरि नाम रटे है दुनिया ये सारी…..

चारो भैया में ज्येष्ठ तुम्ही,
तेरे नाम की ऐसी माया है,
जग में हो प्रभु श्रेष्ठ तुम्ही प्रीत तेरा मन भाया है,
श्रृष्टि में राम दृष्टि में राम,
तेरी महिमा चहुँ दिश छाई,
हरि नाम रटे है दुनिया ये सारी………

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