राघव की अदा निराली है

राघव की अदा निराली है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
रघुवर की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा।।

दिन रात तड़पता रहता हूँ,
राघव जी तुम्हारी यादों में,
हसकर सब छीन लिया मेरा,
जादू है तेरी बातों में,

कंधे पे कामर काली है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
रघुवर की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा।।

मृग जैसे मोटे नैनों पे,
बलिहारी जाऊँ मैं प्यारे,
वा छैल छबीले रसिया के,
है केश घने कारे कारे,

अधरों पे मुस्कन प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
रघुवर की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा।।

हे सर्वेश्वर राघव जु पिया,
मैं तेरा हूँ तू मेरा है,
आकर के बाँह पकड़ मेरी,
माया ने मुझको घेरा है,

तुझसे जन्मों की यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
रघुवर की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा।।

राघव की अदा निराली है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
रघुवर की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा।।

Author: Unknown Claim credit

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