राम सा नही कोई उद्दार,
चरण पड़े को शरण मे रखे,
करदे बेड़ा पार,
राम सा नही कोई उद्दार…
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभुवर,
करते सदा कृपा करुणाकर,
गीध को लेकर गॉड में अपनी,
किया अंतिम संस्कार,
राम सा नही कोई उद्दार…
बड़ा दयालु है रघुनंदन,
कर में धनु और सोहे चन्दन,
चरण धुलाये केवट घर जा,
अउ किया उद्दार,
राम सा नही कोई उद्दार…
छमावान नही इन सा कोई,
दयावान नही इन सा कोई,
“राजेन्द्र” श्रापित नार अहिल्या,
को हरी दीन्हे तार,
राम सा नही कोई उद्दार…
Author: रविंद्र जैन